सुहागरात का किस्सा I Suhagraat ka kissa

Pankaj Thakur
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सुहागरात का किस्सा

(Suhagraat ka kissa)

 मेरा नाम राज है। मैं 28 साल का हु। मैं एक सामान्य कद-काठी का लड़का हूं। मेरा रंग सावला है। आज मैं आपके साथ अपनी सेक्स लाइफ की कहानी आप लोग के साथ शेयर कर रहा हूं। शुरू से ही मेरा रुझान सेक्स के प्रति बहुत अधिक रहा है। मेरे घर में मेरी मां, मेरी बहन, मेरा भाई और मेरी पत्नी रहती हैं। मे उम्र में सबसे बड़ा हु। मेरी पत्नी की उम्र 25 वर्ष है।उसका नाम प्रीति है। वह स्वभाव से बहुत ही चंचल और प्यारी महिला है। वह देखने में कुछ-कुछ साउथ फिल्म एक्ट्रेस तमन्ना भाटिया जैसी है।


हमारी शादी एक अरेंज मैरिज थी। पर शादी से पहले हम लोग एक-दूसरे से काफी बार मिल चुके थे। कई बार शादी से पहले ही फोन पर गन्दी चैट भी किया था। हम अक्सर फोन पर फोन से क्स किया करते थे। हमें लगा था कि हम सुहागरात में आराम से एक-दूसरे की बाहों में समा जाएंगे, पर सुहागरात के वक्त उसे देख कर उसकी खूबसूरती देख कर मैं अचंभित था। वो उस साउथ एक्ट्रेस के कही ज्यादा खूबसूरत और सैें क्सी लग रही थी।


मैं आज आपको अपनी सुहागरात की कहानी बताने जा रहा हूं। आज शादी का दूसरा दिन था। शादी की थकावट के कारण सभी लोग दोपहर में रूम में सोए हुए थे। हमारी सुहागरात में अभी देर थी। मेरी पत्नी वह आईने के पास बैठी अपने गहने उतार रही थी। तभी मैं अपने दोस्तों को विदा कह कर अपने कमरे में आया। ना जाने क्यों हमारे बीच अभी भी एक झिझक थी। मैं उसे चूमना चाहता था, पर हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। कुछ समझ नहीं आ रहा था।

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वह भी ना जाने क्यों नहीं कर रही थी। हम दोनों ही एक-दूसरे की पहली झलक का इंतजार कर रहे थे। मैंने कुछ बाते करना शुरू किया। जैसे तुम थक गई होगी तो थोड़ा सो लो, या कुछ भूख लगी है तो मैं खाने को ला देता हूं। उसने कहा भूख लगी है। फिर मैं उठा और उसको देखता रह गया फिर उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और एक हल्की सी चुंबन ले ली और जाने लगा। उसने मुझे अपनी ओर कस के खींच कर अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिए। यह चुंबन कुछ मिनट तक चला। वह मेरे जीभ को चूसने लगी। फिर मैं उसे रुकने को कहा। फिर में किचन की ओर गया, और खाने का एक प्लेट लिया और उसमे कुछ रोटी और सब्जी डाल दिया और साथ में दही और कुछ मिठाई भी ले लिया। 


अक्सर मैं अपना खाना प्लेट में ही खाता हूं। अभी मेरी पत्नी की इच्छा थी कि हम साथ में खाना खाए। यह मेरे लिए थोड़ा असहज था, पर मे उसकी बात रखने के लिए मैं साथ में खाने के लिए बैठ गया। उसने खाने का पहला कौर लिया, और मेरी और बढ़ा दिया। मैं उसकी आंखों में देखता रहा और अपना मुंह खोला। उसने बड़े प्यार से खाना मेरे मुंह में डाल दिया। मे खाना चवा के घोट लिया। 


मैंनेतुरंत उसे अपनी और खींचा, और उसके गालों को चूम लिया। वह हंसते हुए मेरे नजदीक आई और मेरे होठों को चूम लिया। अब मैंने उसे दोबारा अपनी ओर खींच कर अपने होठों को उसके होंठ पर रख दिया, और चूमने लगा। हमारे होंठ एक-दूसरे से अलग होने का नाम ही नहीं ले रहे थे। बस हम होठों से होंठ मिला कर एक-दूसरे को चूम रहे थे। हमने उसको कस के पकड़ा और उसे लेटना का सोचा तभी उसने कहा कि, “बाद में अभी खाना खा लेते हैं”।


फिर हम दोनों ने खाना खाया, और प्लेट रख दिया। मैं वापस अपने रूम में आया। मैंने दरवाजा बंद कर दिया। मेरी पत्नी ने मुझे इशारे से कहा कि, “अभी मत बंद कीजिए, लोग क्या सोचेंगे”? मैंने कहा, “कुछ नहीं सोचेंगे, तुम मेरे पास आओ”। मैंने उसे अपनी और खींच कर गले से लगा लिया। यह हमारा पहला आलिंगन था। पहली बार स्त्री के शरीर के सुख से मैं भाव विभोर हो चुका था।


मैंने दोबारा अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए, और यह चुंबन काफी लंबा चला। मैं सुहागरात के लिए वेट नहीं करना चाहता था। मैंने पीछे हाथ बढ़ा कर उसके ब्लाउस को खोलने की कोशिश की, पर ब्लाउज मुझसे ना खुल पाया। मेरी पत्नी ने हंसते हुए मेरे दोनों गाल को पकड़ा, और मेरे होठों को चूम लिया और बोली, “आपको यह भी नहीं आता”?


फिर उसने बिल्कुल सहजता से ब्लाउज खोल दिया। अब उसके स्तन मेरे सामने ब्रा में कैद किसी पहाड़ी नुमा चोटी के जैसे लग रहे थे। उसके सफेद संगमरमर सी छातियां मेरे सामने थी। उसकी ब्रा उसके स्तनों को ढक नहीं पा रही थी। मैंने आज पहली बार किसी लड़की के स्तन इस तरह से देखे थे। मैं जल्दी से उन्हें ब्रा से आजाद कर देना चाहता था। मैंने ब्रा के हुक को खोलने की कोशिश की, पर नहीं खुला। 


मेरी पत्नी हंसते हुए सहज भाव से अपनी ब्रा को खोल कर अलग कर दिया। मैंने उसके दोनों स्तनों को अपने हाथों में पकड़ कर उसे जोर से रगड़ने लगा और उसे चूमने लगा। उसे नजदीक से गले लगा कर, उसके साड़ी को अपने हाथों से उठा कर, उसके नितंबों पर हाथ फेरने लगा। मैंने महसूस किया कि उसकी पेंटी बहुत ही टाइट थी और थोड़ा गिला भी था।  मैंने पेंटी के किनारों पर उंगली रख कर उसकी पेंटी को उसके नितंबों से अलग किया, और उसके नितंबों को सहलाना शुरू किया।

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फिर उसके चू चों को मुंह में भर लिया। मेरी पत्नी आंखें बंद करके यह आनंद ले रही थी। मैंने उसका हाथ पकड़ कर बिस्तर पर लिटा दिया। उसके साड़ी की डोरी खोलते हुए मैंने उसे उसके बदन से अलग करना चाहा। उसने समर्थन देते हुए अपने नितंबों को ऊपर की ओर उठाया। उसकी अधखुली हुई पेंटी से उसकी योनि झांक रही थी। उसकी फुली हुई योनी देख कर मैं ललायित हो रहा था। मैंने उसकी पैंटी को उसके पैरों से निकाला तो पाया कि उसकी पैंटी की योनि वाली जगह पर योनी रस लगा हुआ था।


मैं उसे यह दिखा ही रहा था कि वह शर्मा गई। मैं उसकी बुर को देखने लगा। वह दोनों पैर एक-दूसरे पर चिपकाए लेटी रही। मैं चाहता था कि उसके पैरों को खोल दूं, और उसकी योनि पर मुंह लगा दूं। पर मैं रुका रहा, और उसकी योनि को निहारता रहा। मेरी पत्नी ने आंखें खोल कर मेरी तरफ देखा जैसे पूछ रही हो किस चीज का इंतजार है। मैंने उसके पैर फैलाए, और उसकी योनि को जी भर कर देखने लगा। मैंने उसके जांघों को एक-दूसरे से अलग किया। उसकी योनि दरार अभी भी चिपकी हुई थी, पूरी तरह से कुंवारी।


मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी योनि को फैलाया, और एक गर्म फूंक उसकी योनि पर दे मारी। वह गर्म सांस के चुंबन को बर्दाश्त ना कर पाई, और सिहर उठी। मैंने पाया कि उसकी योनि से योनि रस बह रहा था, और उसकी योनि रस से उसकी योनि चमक रही थी। इतने में उसने मेरा हाथ खींच कर मुझे अपने ऊपर ले लिया। मैं उसके ऊपर सीधा लेट गया। मेरा लिंग सीधे उसकी योनि पर चिपक गया।


मैंने अपनी कमर को हिला कर उसकी योनि की दरार पर अपने लिंग को एडजस्ट किया। उसने भी अपने पैर खोल के मेरे लिंग का स्वागत किया। मेरी छाती उसके स्तनों से चिपकी हुई थी, और हमारे होंठ मिले हुए थे। मुझे उसकी योनि का योनि रस अपने लिंग पर महसूस हो रहा था। मैं अपनी कमर को हिला कर उसकी योनि को रगड़ रहा था। उसके मुंह से सिसकारियां निकल रही थी। मैंने उसकी गर्दन को और उसके कान के ठीक नीचे चूमना शुरू किया।


उसके मुंह से लव यू जान निकला। मैंने भी उसे लव यू टू जान कहा, और अपने लिंग को उसकी योनि पर जोर-जोर से रगड़ना शुरू किया। मेरा लिंग उसकी योनि से पूरी तरह भीग चुका था। मैं उठा और बिस्तर से नीचे खड़ा हो गया। उसके दोनों पैरों को खींच कर मैं उसे बिस्तर के किनारे पर लाया, और उसकी योनि में अपना मुंह लगा दिया। मैं उसकी बुर की लकीरों पर जीभ फिराता हुआ चुभलाने लगा।


उसकी बुर में एक उंगली के बराबर छेद था। उसकी बुर से एक मादक खुशबू आ रही थी, और स्वाद नमकीन लग रहा था। मैं उठा और अपने लिंग को उसकी योनि के अग्रभाग में लगाया। उसने सहजता से अपने दोनों पैर फैला दिए, और मैंने अपने लिंग का प्रवेश उसकी योनि में कर दिया, और उसके ऊपर लेट गया। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैंने इतनी आसानी से अपना लिंग उसकी योनि में उतार दिया था।


उसकी योनि इतनी गीली थी कि सहायता से लंड को अपने अंदर समा लिया। मैंने उसके चेहरे पर देखा वह आंखें मूंदे पड़ी थी। उसकी आंखों में एक बूंद आंसू आ गए थे। शायद यह दर्द के आंसू थे। उसकी आंखों को चूम कर मैंने अपने लिंग को धीरे-धीरे बाहर निकाला, और फिर धीरे-धीरे अंदर किया। मैंने उससे पूछा कि, “क्या मैं चालू रखूं”?


उसने बस मुझे जोर से कस लिया और मैंने तीन-चार धीमे-धीमे धक्के उसकी बु र पर लगाना शुरू किया। अब वो आंखें खोल कर मुझे देखने लगी। मैंने इसे समर्थन समझा, और फिर से धक्के लगना शुरू किया। उसने फुसफुसाते हुए कहा, “और तेज”। मैंने बिस - तिस धक्के मारे। फिर मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है, तो मैं अपना लंड को बाहर निकाल लिया। उसने मुझे अपनी आंखों के इशारे से ही पूछा, “क्या हुआ”? मैंने कहा, “कुछ नहीं”।


मैं उसे यह जताना नहीं चाहता था कि मैं झडने वाला था। मैं उससे कहा कि धीरे-धीरे करेंगे और मैं उससे अलग हुआ और उसकी योनि को देखने लगा। मैंने देखा उसकी योनि खुली हुई थी। मेरे लिंग पर इसका सफेद-सफेद योनी रस लगा हुआ था। मैंने उसे अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए दिखाया, “तुम्हारा रस मेरे लिंग पर लगा हुआ है”। वह देख कर शर्मा गई। फिर अपने ब्लाउस को उठा कर मेरे लिंग को पोंछ दिया। मैं घुटनों के बल बैठ कर उसकी योनि को चूमने लगा।


वह जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगी। वह कमर हिलाने लगी। मैंने उसके कट को अपने दांतों से दबाया, और उसके मुंह से संस्कारी निकल पड़ी। फिर वह झड़ गई। झड़ते समय उसने मेरे चेहरे को अपनी बुर में दबा दिया। उसने इतनी जोर से दबाया, कि मैं सांस भी नहीं ले पा रहा था। पांच-दस सेकंड के बाद मैं उससे अलग हुआ। वह शर्मा कर पलट गई। अब उसके नितम्ब मेरे सामने थे।


मैंने उसके नितंबों को बारी-बारी से चूमा, और उसकी पीठ को सहलाता हुआ उसके बगल में लेट गया। मैं गर्ववानवित था कि मैंने अपनी पत्नी को सेक्स का सुख दिया। मैं अभी भी झड़ा नहीं था। वह दुपट्टा अपने कमर में बांधते हुए बाथरूम की ओर बढ़ी और दरवाजा बंद कर दिया। अंदर से नल खोलने की आवाज आई।


फिर थोड़ी देर बाद बाथरूम का दरबाजा खुला और वह नि-बस्त्र होकर बाहर आयी और कस के मेरे ऊपर लिपट गयी। मै अभी तक गर्म ही था। मै उसको कस के पकड़ के दीवाल के तरफ ले गया और खरे खरे ही शॉट मारने लगा। फिर मै भी ठण्ड हो गया। फिर उसके बाद हमलोग सो गये। 


तो दोस्तों आप लोगो को ये मेरी स्टोरी कैसा लगा। जरूर कमेंट करके बताए। 

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