Teacher's day special:–डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय।

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शिक्षक दिवस क्यों मनाते हैं?
हम सब जानते हैं कि हम अपने महान शिक्षक डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाते हैं,लेकिन वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाता है।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवन का परिचय:-
आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।वह दर्शनशास्त्र में पश्चिम स्रोत की शुरुआत की थी उनको दर्शनशास्त्र का भी बहुत ज्ञान था। राधाकृष्णन एक प्रसिद्ध शिक्षक थे यही वजह है कि उनकी याद में शिक्षक दिवस मनाया जाता है।बीसवीं सदी के विद्वानों में उनका नाम सबसे ऊपर है।वह पश्चिम सभ्यता से अलग हिंदुत्व को देश में फैलाना चाहते थे।वह दोनों सभ्यता को मिलाना चाहते थे,उनका मानना था कि शिक्षकों का दिमाग देश में सबसे अच्छा होना चाहिए क्योंकि देश को बनाने में उनका ही सबसे बड़ा योगदान है।

उनका पूरा नाम   –डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन
धर्म                   –हिंदू
जन्म                  –5 सितंबर 1888
जन्म स्थान          –तिरुमनी गांव,मद्रास
पिता                  –सर्वपल्ली विरास्वामी
माता                   –सीतम्मा
पत्नी                   –शिवाकमु
बच्चे।                  – 5 बेटी 1 बेटा
निर्धन                   –17 अप्रैल 1975

डॉ राधाकृष्णन एक शिक्षाविद होने के साथ-साथ एक दार्शनिक भी थे।उन्हें 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था और साथ ही उन्हें 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
शिक्षकों के हमारे जीवन में महत्व: –
शिक्षक हमारे समाज का निर्माण तो करते ही हैं साथ ही हमारा मार्गदर्शन भी करते हैं जब हम कोई भी कार्य करते हैं तो हर मोड़ पर अपने शिक्षकों की सिखाएं बातें याद आती है। जो हमें सही निर्णय लेने में हमारी मदद करती है।शिक्षक का स्थान माता-पिता से भी ऊंचा होता है।माता-पिता हमें जन्म देते हैं लेकिन शिक्षक हमें जीवन जीने में सही रास्ता दिखाते हैं।शिक्षक हमारे जीवन के मार्गदर्शक एवं आधार दोनों होते हैं। अगर किसी इंसान के जिंदगी में शिक्षक ना हो तो वह जिंदा तो रहेगा पर सही तरीके से नहीं,इसलिए हमें शिक्षक का स्थान सबसे ऊपर देना चाहिए चाहे कोई डॉक्टर,इंजीनियर या कुछ भी बन जाए उसके लिए उसे अच्छे शिक्षक की जरूरत होगी। शिक्षक हमारे जीवन कि वह रास्ता होते हैं जिन पर चलकर जिनकी मदद से हम अपनी मंजिल को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।लेकिन हम अपनी मंजिल प्राप्त कर लेंगे पर हमारे शिक्षक उस रास्ते की तरह सदैव बने रहेंगे तो चाहे हम कितने भी बड़े आदमी बन जाए अपने शिक्षक का एहसान कभी नहीं भूलना चाहिए उनके बगैर तो हम कुछ नहीं कर सकते।
कबीरदास जी कहते हैं:–
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय। बिलहरी गुरु आपने, गोविंद दियो बताए।

यानी जब गुरु और गोविंद (भगवान) दोनों साथ में खड़े हो तो हमें पहले किन को प्रणाम करना चाहिए:–तो भगवान ही बताते हैं कि पहले गुरु को प्रणाम करना चाहिए क्योंकि गुरु ने हीं गोविंद (ईश्वर)से हमारा परिचय कराया अगर गुरु नहीं होते तो ईश्वर का भी मतलब कहां किसी को समझ आता,इसलिए गुरु का स्थान गोविंद (ईश्वर) से भी ऊंचा होता है।

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