शादी की पहली रात को क्यों कहा जाता है सुहागरात? : Suhagrat Tips

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Suhagraat Tips: शादी की पहली रात को सुहागरात क्यों कहा जाता है, जानें इसका कारण. इसके साथ ही शादी की पहली रात को आपको इन बातों के खास ध्यान रखान चाहिए।

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Suhagrat Tips: शादी की पहली रात को क्यों कहा जाता है सुहागरात?


शादी की पहली रात को सुहागरात (Suhagraat) कहा जाता है। सुहागरात दूल्हा और दुल्हन की जिंदगी का एक अहम हिस्सा माना जाता है। इस रात का इंतज़ार लोग बचपन से करते हैं। सुहागरात की रात को लेकर लोग पहले से तयारी में जुट जाते हैं। इस रात को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं। इस रात में लड़का व लड़की दोनों में ही समान उत्सुकता रहती है। कई लोगो को तो बैचनी भी रहती हैं। सामान्य तौर पर सुहागरात का मतलब नव दंपति का शारीरिक रूप से एक होना माना जाता है। लेकिन जिंदगी की इस खास रात को इतना ही समझ लेना गलत होगा। दरअसल शादी के बाद सुहागरात ही पति-पत्नी के नए जीवन की वह पहली रात होती है, जिसमें वह दोनों एक साथ होते हैं। 

शादी की पहली रात को क्यों कहा जाता है सुहागरात?

Suhagrat: Shadi ki pahli raat ko kyu kaha jata hai Suhagraat? शादी में कई तरह की पारम्परिक रस्में निभाई जाती हैं। हर रिवाज के पीछे कोई ना कोई कारण और रहस्य जरूर छुपी होती हैं। इसी के चलते आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि शादी की पहली रात को सुहागरात क्यों कहा जाता हैं। 

सुहागरात दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है सुहाग और रात। सुहाग और रात को मिला देने पर सुहागरात शब्द बनता हैं। शादी के बाद लड़की सुहागन हो जाती हैं और सुहागन होने के बाद उसकी पहली रात होती हैं। इसलिए शादी की पहली रात को सुहागरात कहा जाता हैं। 

ये रात दुल्हन और दूल्हे का शादी के बाद की पहली रात होती हैं। जो दोनों एक-दूसरे के साथ प्यार से बिताते हैं। इस रात वह एक-दूसरे से रोमांटिक मूड में बहुत सारी बातें करते है और एक-दूसरे को करीब आने की कोशिश करते हैं।

जब दो अजनबी लोग एक दूसरे से शादी करते हैं। शादी के बाद जब एक-दूसरे के जो पहली रात बिताते हैं, वो रात सुहागरात कहलाती हैं। यह शादी की रस्मों में गिनी जाती हैं। विवाह के बाद नया जोड़ा या कहें पति-पत्नी अपने सुहाग के साथ पहली रात बिताती, उसे सुहागरात कहते हैं। सुहागरात भी एक प्रकार का शादी का विध ही हुआ। 

सुहागरात की रात भूलकर भी ना करे ये गलतिया: Suhagrat Tips 

सुहागरात की रात पति और पत्नी को भूल कर भी ये गलतियां नहीं करनी चाहिए। शादी की पहली रात को दूल्हा और दुल्हन दोनों को एक-दूसरे से अपनी अतीत के बारे में बिल्कुल बात नहीं करना चाहिए।

1. इसके अलावा सुहागरात पर नये जोड़े को अपनी परिवार के बारे में एक-दूसरे से बात नहीं करनी चाहिए। मान लीजिये अगर आप अपने परिवार के बारे में एक-दूसरे से बुराई करते हैं। तो आपके पार्टनर के मन में आपके लिए गलत विचारधारा बन सकती हैं।

2. शादी की पहली रात को कभी भी उतावलापन नहीं दिखाएं, कई सारे दूल्हे अपनी पत्नी को पहली बार देखकर हो ज्यादा जोश में आ जाते हैं, कुछ लोग तो ऐसे होते हैं जो, हद से ज्यादा शर्माते हैं लेकिन, कुछ व्यक्ति बहुत जल्दबाजी करते हैं, वे शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए लड़की पर टूट पड़ते हैं। जिससे कि उनको इसका हर्जाना बाद में भुगतना पड़ता है, इसीलिए ध्यान रखे की शादी के पहले दिन Suhagrat में बिल्कुल भी उतावलापन ना दिखाएं।

3. ख़ास बात ये की Suhagrat ki raat अपने पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाने में कोई जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। जब दोनों का मन हो तब संबंध बनाना चाहिए। कोई जोर जबरदस्ती नहीं करनी चाहिये। क्योंकि इससे आपके पार्टनर पर आपका गलत Impression पड़ सकता है, जिसकी वजह से वह आपसे गुस्सा या नाराज हो सकता या सकती हैं। जिसका नतीजा आपको पुरे जिंदगी भर भुगतना पड़ेगा।

4. शादी की पहली रात सुहागरात में खुद को जोशीला बनाने के लिए अधिकतर लोग शराब और धूम्रपान का सेबन करते हैं। शादी के बाद आप दोनों ही इस नए रिश्ते की शुरुआत करते है ऐसे में नशा करना आपके रिश्ते पर खराब असर डाल सकता है। इसके साथ ही नशा करने से आपकी यह महत्वपूर्ण रात भी खराब हो सकती है। सुहागरात मनाने के तरीके में आपको नशे से दूर रहने की बात को हमेशा याद रखनी चाहिए।

5. शादी की पहली रात दोनों को किसी के बारे में कोई बुराई नहीं करनी चाहिए। एक दूसरे की गलतियां बिल्कुल भी नहीं बतानी चाहिए, इससे आपका पार्टनर आपसे उदास हो सकता है, जिससे पहली रात ही रिश्ते में खटास पड़ सकती हैं। इस दिन बस दोनों एक-दूसरे से प्यारी बातें करें और एक-दूसरे की बातें ध्यान से सुनें और प्यार में खो जाये। 

निष्कर्ष

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सुहागरात हर व्यक्ति के जीवन में आने वाली सबसे अहम रात होती है। लेकिन आज के ज़माने में सुहागरात के मायने बदल गए है और आजकल पति और पत्नी का आपस में सहज होना अधिक जरूरी होता हैं।

सुहागरात सिर्फ दो जिस्मों का मिलन नहीं बल्कि एक नए जीवन की शुरूआत भी होती है।

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