Durga puja 2021 kab se hai

Pankaj Thakur
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 दुर्गा पूजा कलश स्थापना कब है 2021  -  7 अक्टूबर 2021, गुरुवार


दुर्गापूजा हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार है।हम सब इसे बहुत धूम धाम से मनाते है। यदि हम बिद्या-बुद्धि के लिए माँ सरस्वती की पूजा करते है,तो शक्ति-साहस के लिए दुर्गा माँ की। हमें शास्त्रबल ही नहीं ,शस्त्रबल भी चाहिए। किसी राष्ट्र के प्रगति लिए विद्यादायिनी और शक्तिदयानी दोनों की आराधना आवश्यक है। भारत त्योहारों और मेलों की देश है। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं और वे सभी पूरे साल अपने-अपने त्योहारों और उत्सवों को मनाते हैं।नवरात्रा  या दुर्गा पूजा का उत्सव बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत के रुप में मनाया जाता है।इस दिन देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। उन्हें ब्रह्मा, भगवान विष्णु और शिव के द्वारा इस राक्षस को मारकर और दुनिया को इससे आजाद कराने के लिए बुलाया गया था। पूरे नौ दिन के युद्ध के बाद, उन्होंने उस राक्षस को दसवें दिन मार गिराया था, वह दिन दशहरा कहलाता है। नवरात्र का वास्तविक अर्थ, देवी और राक्षस के बीच युद्ध के नौ दिन और नौ रात से है। दुर्गा पूजा के त्योहार से भक्तों और दर्शकों सहित विदेशी पर्यटकों की एक स्थान पर बहुत बड़ी भीड़ जुड़ी होती है।इस त्योहार पर देवी दुर्गा की पूरे नौ दिनों तक पूजा की जाती है।पूजा के दिन स्थानों के अनुसार अलग-अलग होते हैं। माता दुर्गा के भक्त पूरे नौ दिन तक या केवल पहला और आखिरी दिन उपवास रखते हैं। वे देवी दुर्गा की मूर्ति को सजाकर प्रसाद, जल, कुमकुम, नारियल, सिंदूर आदि को सभी अपनी क्षमता के अनुसार अर्पित करके पूजा करते हैं। सभी जगह बहुत ही सुन्दर लगती हैं और वातावरण बहुत ही स्वच्छ और शुद्ध हो जाता है। ऐसा लगता है कि, वास्तव में देवी दुर्गा आशीर्वाद देने के लिए सभी के घरों में जाती है। यह विश्वास किया जाता है कि, माता की पूजा करने से आनंद, समृद्धि, अंधकार का नाश और बुरी शक्तियों हटती है। आमतौर पर, कुछ लोग 6, 7, 8 दिन लम्बा उपवास करने के बाद तीन दिनों (सप्तमी, अष्टमी और नौवीं) की पूजा करते हैं। वे सात या नौ अविवाहित कन्याओं को देवी को खुश करने के लिए सुबह को भोजन, फल और दक्षिणा देते हैं।

नवरात्रि 2021 में कब है ?

पंचांग के अनुसार नवरात्रि का पर्व 07 अक्टूबर 2021 से आरंभ होगा. इसे शरद नवरात्रि कहा जाता है. शरद नवरात्रि का पर्व 15 अक्टूबर 2021 को समाप्त होगा.

  1. 7 अक्टूबर 2021, गुरुवार -       माँ शैलपुत्री की पूजा
  2. 8 अक्टूबर 2021, शुक्रवार -      माँ  ब्रह्मचारिणी की पूजा 
  3. 9 अक्टूबर 2021, शनिवार -      माँ चंद्रघंटा की पूजा 
  4. 9 अक्टूबर 2021, शनिवार -      माँ कुष्मांडा की पूजा
  5. 10 अक्टूबर 2021, रविवार -     माँ  स्कंदमाता की पूजा
  6. 11 अक्टूबर 2021, सोमवार -  माँ कात्यायनी की पूजा
  7. 12 अक्टूबर 2021, मंगलवार -   माँ कालरात्रि की पूजा
  8.  13 अक्टूबर 2021, बुधवार -   माँ महागौरी की पूजा
  9. 14 अक्टूबर 2021, गुरुवार -    माँ सिद्धिदात्री की पूजा
  10. 15 अक्टूबर 2021, शुक्रवार -  शारदीय नवरात्रि का व्रत का पारण और माँ दुर्गा को विसर्जित किया जाएगा.


जाने कैसे करें कलश स्थापना के बाद चौकी की स्थापना पूरी जानकारी 

1. सबसे पहले लकड़ी की एक चौकी को गंगाजल या स्वच्छ जल से धोकर पवित्र कर लें।
2. अब इसे साफ कपड़े से पोछ दे और सूखने के बाद लाल कपड़ा बिछा दे। 
3. चौकी के दाएं ओर कलश रखें कलश के निचे कुछ अनाज। 
4. चौकी पर मां दुर्गा की फोटो या प्रतिमा स्थापित करें।
5. माता रानी को लाल रंग की चुनरी ओढ़ाएं और माला डाले। 
6. धूप-दीपक आदि जलाकर मां दुर्गा की पूजा करें।
7. नौ दिनों तक जलने वाली अखंड ज्योत माता रानी के सामने जलाएं उससे हमेशा जलते रहने दे।  
8. देवी मां को तिलक लगाएं।
9. मां दुर्गा को चूड़ी, वस्त्र, सिंदूर, कुमकुम, पुष्प, हल्दी, रोली, तुलसी ,सुहान का सामान अर्पित करें।
10. मां दु्र्गा को इत्र, फल और मिठाई अर्पित करें।
11. अब दुर्गा सप्तशती के पाठ देवी मां के स्तोत्र, सहस्रनाम आदि का पाठ करें।
12. मां दुर्गा की आरती उतारें मन लगा कर। 
13. अब वेदी पर बोए अनाज पर जल छिड़कें।
14. नवरात्रि के नौ दिन तक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करें। जौ पात्र में जल का छिड़काव करते रहें।
15 . समय-समय से दीप को चेक करते रहे और उसमे तेल डालते रहे। 
16 . शाम में भी पूजा और आरती करे डेली 


  • इन दिनों में मां का अधिक से अधिक ध्यान करें। दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नम: का जप करें। नवरात्रि के दौरान मां धरती पर आ जाती हैं। इन नौ दिनों में रोजाना मां को भोग लगाएं। मां को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं।मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए रोजाना पुष्प भी अर्पित करें। मां को लाल रंग के पुष्प अतिप्रिय होते हैं।

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