Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्य की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। उनके द्वारा रचित चाणक्य नीति वर्तमान समय में लाखों युवाओं का मार्गदर्शन कर रही है। आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र चाणक्य नीति में कुछ ऐसी बातें बताई हैं, जिनका पालन करने से व्यक्ति हमेशा सुखी जीवन जीता है.
Chanakya Niti: बुरे समय में डरकर भागने के बजाय आचार्य चाणक्य की इन बातों का रखें ध्यान |
Chanakya Niti: सुखी जीवन जीने के लिए व्यक्ति को कुछ बातों का ध्यान हमेशा रखना बहुत जरूरी है, वरना एक छोटी से छोटी गलती भी भारी पड़ सकती है. आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में कुछ ऐसी बातों के बारे में बताया है, जिनका पालन करना व्यक्ति को सुखी जीवन देता है. उसे ढेरों समस्याओं से बचाता है. उसे और उसके परिवार को सम्मान दिलाता है. आज हम आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई ऐसी बातों के बारे में जानते हैं जिनसे बचना व्यक्ति को सुखी जीवन देता है.
Chanakya Niti आचार्य चाणक्य द्वारा रचित चाणक्य नीति को सफल जीवन जीने का माध्यम माना जाता है। आचार्य चाणक्य द्वारा दी गई शिक्षा का पालन कर व्यक्ति सदैव दुःख एवं कष्टों से दूर रहता है। आइए जानते हैं-
घर में सांप रहना
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जिस घर में सांप का वास होता यानी जिस घर में बार-बार सांप निकलते हैं, तो वहां मृत्यु का भय हमेशा बना रहता है। इसलिए जिस घर में सांप का वास हो, तो वहां कोई उपाय करके उन्हें हटा देना चाहिए या फिर उस घर को छोड़ देना चाहिए।
मोह से बचना दुखों से बचाता है
यस्य स्नेहो भयं तस्य स्नेहो दुःखस्य भाजनम् .
स्नेहमूलानि दुःखानि तानि त्यक्तवा वसेत्सुखम् ..
चाणक्य नीति में बताए गए इस श्लोक का मतलब है कि व्यक्ति को जिस चीज से सबसे ज्यादा प्यार होता है,चाहे वो इंसान हो या जानवर, वह चीज उसके दुख का सबसे बड़ा कारण बनता है. इसलिए किसी चीज या व्यक्ति से इतना मोह नहीं करना चाहिए. अगर आप मोह करते है तो आप लालच की तरफ बढ़ते चले जाते है.
पूरा जीवन बीतता है दुख में
चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति जब किसी वस्तु या व्यक्ति के मोह में जरूरत से ज्यादा पड़ जाता है तो वह दुख का रास्ता चुन लेता है. किसी चीज या व्यक्ति से बहुत ज्यादा स्नेह होने पर वह दुख का कारण बनता है.क्यों की वो हमेशा उसी चीज के बारे में सोचने लगता हैं. उस व्यक्ति या जीव से दूर होने पर या उसे खो देने पर बहुत दुख में घिर जाता है. इसी तरह उस चीज के खो जाने या नष्ट होने पर भी बहुत गम में डूब जाता है. इसलिए व्यक्ति को किसी भी चीज या प्राणी से इतना मोह नहीं करना चाहिए कि वह उससे दूर होने पर दुख में डूब जाए या अपने कर्तव्यों से दूर हो जाए. ऐसी स्थिति उस व्यक्ति के पतन का कारण बनती है. लिहाजा बेहतर है कि व्यक्ति मोह के जाल से दूर ही रहे, तभी वह सुखी जीवन जी सकता है.
खर्चे पर नियंत्रण
आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र के अनुसार घर के मुखिया की जिम्मेदारी होती है कि वह घर को जितनी कमाई हो उसके हिसाब से चलाए। ऐसे में बिना वजह के खर्चों पर काबू रखना चाहिए। यदि घर का मुखिया ऐसा नहीं करता है तो उसे आर्थिक संकट झेलना पड़ सकता है।
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